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मिसिर जी की कुण्डलिया




मिसिर जी की कुण्डलिया


सोना खोना एक है, अब तो सोना छोड़।

सदा जागरण की तरफ, अपने मन को मोड़।।

अपने मन को मोड़, जागते रहना नियमित।

चेतन मन का भाव , अनवरत  रहे संयमित।।

कहें मिसिर कविराय,रहे मन का हर कोना।

उन्नत सजग प्रवीण, मिले तब सब को सोना।।


     मिसिर महराज की कुण्डलिया


जागत सोवत हर समय,सोचो अच्छी बात।

शिव भावों की राह में, कभी न होती रात।।

कभी न होती रात, सदा दिनकर दिखता है।

शुभ्र दिवस का ज्ञान, सुखद जीवन रचता है।।

कहें मिसिर महराज, चलो प्रति पल तुम गावत।

अच्छाई की राह, पकड़ कर चलना जागत।।







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2 Comments

Haaya meer

27-Dec-2022 08:06 PM

Nice

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Gunjan Kamal

23-Dec-2022 06:05 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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